भगवान शिव का अनोखा मंदिर जहां शिवलिंग पर चढ़ते ही बदल जाता है दूध का रंग
तमिलनाडु में यह भगवान शिव का अनोखा मंदिर केतु की पूजा के लिए जाना जाता है|
भोलेनाथ के भक्त बहुत दूर से यहां ग्रह शांति पूजा कराने के लिए आते हैं, आइए आपको बताते हैं, कि आखिर यह मंदिर लोगों के बीच इतना लोकप्रिय क्यों है।
नागनाथस्वामी मंदिर
छाया ग्रह केतु की पूजा कराने के लिए इस शिव नागनाथस्वामी मंदिर में अधिक संख्या में लोग आते है।
केतु ग्रह की शांति और कुंडली में कालसर्प दोष होने पर इस मंदिर में खास तरह की पूजा कराई जाती है।
बता दें, कि राहु और केतु को नौ ग्रहों में छाया ग्रह माना जाता है, मतलब कि इनका कोई भौतिक अस्तित्व नहीं हैm और ये आभासी ग्रह के रूप में माने जाते हैं।
शिवलिंग पर गिरते ही दूध का रंग हो जाता है नीला
मंदिर में पूजा के दौरान शिवलिंग का रुद्राभिषेक किया जाता है, और अभिषेक के दौरान शिवलिंग पर दूध चढ़ाया जाता है।
जानकारी के अनुसार, इस शिवलिंग पर दूध का रंग गिरते ही नीला हो जाता है। ऐसी मान्यता है, कि यदि दूध का रंग नीला हो जाए, तो वाकई आपकी कुंडली में राहु, केतु या कालसर्प दोष है।
लोगों के अनुसार, दूध का रंग नीला होना वास्तव में भगवान शिव का चमत्कार है, और दूध का रंग नीला करके भोलेनाथ इस बात का आश्वासन देते हैं, कि कुंडली में जो दोष था वो समाप्त हो चुका है|
पौराणिक कथा
प्रचलित कथाओं के अनुसार, एक बार एक ऋषि ने राहु को नष्ट हो जाने का शाप दिया था, और उस शाप से राहत पाने के लिए राहु अपने सभी गणों के साथ भोलेनाथ के शरण में पहुंच गए|
सभी ने मिलकर शिव की घोर तपस्या की, जिससे खुश होकर भगवान शिव शिवरात्रि के मौके पर राहु के सामने प्रकट हुए, और उन्हें ऋषि के शाप से मुक्ति का आशीर्वाद दिया। इसी वजह से इस मंदिर में राहु को उनके गणों के साथ दर्शाया गया है।