भारत की पहली स्वदेशी कारबाइन बनकर तैयार, एक मिनट में 700 राउंड करती है फायर
हमारे लिए गर्व की बात है, कि भारत की पहली स्वदेशी कारबाइन बनकर तैयार हो चुकी है, और सेना में शामिल होने के लिए तैयार है|
डीआरडीओ (DRDO) और ओएफबी (OFB) द्वारा ज्वाइंट वेंचर में तैयार की गई प्रोटेक्शन कारबाइन थलसेना के सभी मानकों पर खरी उतरी है|
रक्षा मंत्रालय ने बयान जारी किया
रक्षा मंत्रालय ने एक बयान जारी कर बताया, कि जेवीपीसी सफलता पूर्वक सभी जीएसक्यूआर यानि जनरल स्टाफ क्वालिटी रिकुआयरेमेंट पर खरी उतरी है|
इसके अलावा डायरेक्टर जनरल ऑफ क्वालिटी एश्योरेंस के गुणवत्ता परीक्षण में जेवीपीसी कारबाइन बेहद भरोसेमंद साबित हुई है, और ट्रायल में सभी मानदंडों को सफलतापूर्वक अंजाम दिया है|
बता दें, कि डीआरडीओ की पुणे स्थित एआरडीई ने जेवीपीसी कारबाइन का डिजायन तैयार किया है|
ओएफबी (ऑर्डनेंस फैक्ट्री बोर्ड) कानपुर की स्मॉल आर्म्स फैक्ट्री में इसे तैयार किया जा रहा है, और इसके लिए बुलेट्स का निर्माण पुणे के निकट किरकी में एम्युनेशन फैक्ट्री में किया जा रहा है|
1 मिनट में 700 राउंड फायर
जेवीपीसी एक गैस-ओपरेटेड बुलपंप ऑटोमैटिक वैपन है, जो 1 मिनट में तकरीबन 700 राउंड फायर कर सकती है, जिसकी रेंज करीब 100 मीटर है|
हालांकि, कुछ साल पहले जेवीपीसी बनकर तैयार हो गई थी, लेकिन सेना की जरूरतों के हिसाब से मोडिफाइड किया गया है|
डिफेंस-एक्सपो में रक्षा मंत्री ने किया था लॉन्च
भारत की पहली स्वदेशी कारबाइन को इस साल के शुरूआत में लखनऊ में हुए डिफेंस-एक्सपो में रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने लॉन्च किया था|
अभी फिलहाल, भारतीय सेना को क्लोजड क्वार्टर बैटल के लिए लगभग 93 हजार कारबाइन्स की जरूरत है|
रक्षा मंत्रालय ने इसके लिए कुछ साल पहले टेंडर प्रक्रिया भी शुरू की थी, जिसमें यूएई की काराकल कंपनी ने हिस्सा लिया था| यह अलग बात है, कि बाद में इस टेंडर को रद्द कर दिया गया था|
सबसे खास बात यह है, कि जेवीपीसी कारबाइन के ट्रायल ऐसे समय में पूरे हो रहे हैं, जब थलसेना प्रमुख जनरल एम एम नरवणें यूएई के दो दिवसीय पर हैं|