छुटनी महतो: कभी घरवालों ने ‘डायन’ कहकर किया था जुल्म , अब मिला पद्मश्री
झारखंड की जिस महिला छुटनी महतो को पद्मश्री सम्मान से नवाजा गया है, उसे 25 साल पहले डायन कह कर काफी प्रताड़ित किया गया था, और गांव से भी निकाल दिया गया था|
छुटनी महतो को एक तांत्रिक के कहने पर गांव भर में डायन मान लिया गया, और फिर उन्हें जान से मारने की साजिश भी रची गई
एक पेड़ के नीचे गुजारी जिंदगी
जैसे ही उन्हें इस बात की जानकारी मिली, छुटनी रातोरात किसी तरह अपने चार बच्चों के साथ गांव से भागी, और 8 माह तक बच्चों के साथ एक पेड़ के नीचे अपनी जिंदगी गुजारी|
इतना कुछ झेलने के बावजूद छूटनी ने हार नहीं मानी, बल्कि निडर होकर इस डायन प्रथा को ही समाप्त करने के खिलाफ आवाज बुलंद कर दी|
डायन प्रथा के खिलाफ आवाज की बुलंद
उन्होंने सरायकेला खरसावां जिले के एक नक्सल प्रभावित गांव में रहकर डायन प्रथा के खिलाफ लोगों को एकजुट करने का प्रयास शुरू किया|
उन्होंने डायन प्रथा की शिकार सैकड़ों महिलाओं को अपने घर रखा बल्कि उन्हें मानसिक और शारीरिक रूप से स्वस्थ भी बनाया|
बता दें छुटनी देवी की शादी 1978 में गम्हरिया थाना क्षेत्र के महतानडीह में हुई थी, लेकिन, ससुरालवालों ने 1995 में डायन बिसाही का आरोप लगाते हुए उन्हें घर से निकाल दिया गया था|
वर्ष 2000 से उन्होंने डायन बिसाही से प्रताड़ित महिलाओं के बीच जाकर काम करना शुरू किया, और अब तक डायन बिसाही से प्रताड़ित 125 महिलाओं को न्याय दिलाकर उनका पुनर्वास करवा चुकी हैं| वहीं अब उनकी सामाजिक कार्यकर्ता के रूप में अलग पहचान है|